Jagannath Puri Temple Facts in Hindi – जगन्नाथ मंदिर के अनसुने रहस्य

Jagannath Puri Temple चार धामों में से सबसे प्रसिद्ध धाम माना जाता है। आखिर ऐसा क्यों चलिए आज jagannath puri temple facts in hindi जानते है। आप यह रोचक तथ्य सुन के हैरान हो जाओगे। और हा दोस्तों इन सभी रहस्य के बारे में अभी तक हमारा विज्ञानं भी खुलासा नहीं कर पाया है।

तो आखिर क्या है वो Jagannath puri temple facts चलिए आज के इस ज्ञानपूर्वक आर्टिकल में जानते है।

हमारा देश भारत जो रहस्यों से भरा देश है। इस देश की सभ्यता जितनी पुराणी है लगभग उतनी ही पुराणी यहाँ के मंदिर है। हज़ारो सालो से अपने जगह पर खड़े मंदिर कई राज अपने अंदर छुपाये बैठे है। भारत में मौजूद कोई भी मंदिर ऐसा नहीं है जिससे जुड़ा कोई रहस्य वैज्ञानिको या आम आदमी के चर्चा का विषय न हो।

दोस्तों आज हम आपको इससे ही एक मंदिर के रहस्य के बारे में बताने वाले है जिसके बारे में जानकर आप लोग चोक जाएंगे।

दरअसल दोस्तों हिन्दू धर्म में चार धाम यात्रा का बहुत महत्व माना गया है आज हम इन चार धाम में से एक उड़ीसा के समुद्र तट पर बसे पूरी में मौजूद Jagannath Temple से जुड़े रहस्य के बारे में बताने जा रहे है।

Jagannath Temple भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्णा को समर्पित है। हर साल यहाँ लाखो श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। 800 साल से भी ज्यादा पुराने इस पवित्र मंदिर के दर्शन करने के लिए देश विदेश से लोग आते है। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़े ऐसे रोचक रहस्य की जानकारी देने जा रहे है जिनके सच्चाई के बारे में आज तक पता नहीं चल पाया है।

6 रहस्यपूर्ण Jagannath Puri Temple Facts in Hindi

चलिए अब हमको जगन्नाथ मंदिर के 6 इससे रोचक तथ्य बताएंगे जिन्हे सुनकर आप भी हैरान रह जाओगे। चलो बिना समर बर्बाद करते आज का अध्यन सुरु करते है।

1) मंदिर में नहीं सुनाई देती समुद्र की आवाज

दोस्तों कहने को तो यह मंदिर समुद्र के किनारे पे स्थित है। लेकिन मंदिर के अंदर समुद्र की लहरों की आवाज किसी को भी सुनाई नहीं देती है। जबकि समुद्र पास में ही है लेकिन आप जैसे ही मंदिर से एक कदम बाहर निकालोगे वैसे ही समुद्र की लहरों की आवाज आपको सुनाई देने लगेंगी। वाकई यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

दोस्तों इस पवित्र मंदिर की हर जगह किसी ना किसी रहस्य से जुडी हुई है।

2) मंदिर में कभी नहीं होती प्रसाद की कमी

मंदिर में प्रतिदिन चाहे कितने ही श्रद्धालु दर्शन के लिए क्यों ना आये मगर कभी प्रसाद की मात्रा घटती नहीं है। हर समर पुरे साल के लिए भण्डार भरा रहता है।

ऐसी मान्यता है की भगवान जगन्नाथ के प्रताप से यहाँ हज़ारो लोगो से लेकर लाख लोगो तक को प्रतिदिन भर पेट भोजन खिलाया जा सकता है। चाहे श्रद्धालु की संख्या में कितनी भी बढ़ोतरी क्यों ना हो जाये।

मंदिर के अंदर पकाया जाने वाला प्रसाद कभी कम नहीं होता है। दोस्तों इसके पीछे भी एक रहस्य है दरअसल इस मंदिर की रसोई भी सबको हैरान कर देती है। दरअसल यहाँ भक्तो के लिए प्रसाद पकने के लिए सात बर्तन एक दूसरे के ऊप्पर रखे जाते है लेकिन हैरानी की बात यह है की सबसे ऊप्पर रखे बर्तन का प्रसाद सबसे पहले पकता है।

फिर नीचे रखे बर्तन में एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है। की यहाँ हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तो के बिच कभी कम नहीं पड़ता चाहे 10 20 हज़ार लोग आये या 10 लाख लोग।

यहाँ की विशाल रसोई में भगवान जगन्नाथ को चढ़ने वाले माहा प्रसाद को बनाने के लिए 500 रसोइये लगे रहते है। जिनके लिए अलग से 300 सहयोगी काम करते है। यानि की करीब 800 लोग मिलकर माहा प्रसाद तैयार करते है।

दोस्त कहा जाता है जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद तभी खत्म होता है जब मंदिर के दरवाजे खत्म कर दिए जाते है। भगवान जगन्नाथ के मंदिर में आज भी कई ऐसे चमत्कार होते है जिनका जवाब विज्ञानं के पास भी नहीं है।

पुराणों के अनुसार Jagannath Puri Temple को धरती का बैकुण्ठ माना गया है क्युकी भवन श्री कृष्णा आज भी यहाँ मजूद मने जाते है। पुराने समय से ही यहाँ सबर जनजाति के आराध्य देव है ये और ऐसा कहा जाता है किसी वजह से यहाँ भगवान विष्णु का रूप अन्य मंदिरो के अपेक्षा थोड़ा अलग नजर आता है।

3) रोज बदला जाता है मंदिर के शिखर का झंडा और हवा की उलटी दिशा में उड़ता है मंदिर का झंडा

जगन्नाथ मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य यह है की इसके शिखर पे मौजूद झंडा हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। वैसे आम तोर पर दिन के समय हवा समुद्र से धरती के तरफ चलती है और शाम को धरती से समुद्र की तरफ लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी यहाँ यह प्रक्रिया उलटी है अब ऐसा क्यों है यह रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया।

भारत में किसी भी मंदिर का ध्वज हर दिन नहीं बदला जाता है लेकिन जगन्नाथ जी का मंदिर ही एक मात्र मंदिर है जिसका ध्वज हर दिन बदला जाता है। हर दिन एक पुजारी को ऊचे गुम्बद पर चढ़कर ध्वज बदलना होता है।

जगन्नाथ मंदिर की ऐसी मान्यता है की अगर एक दिन भी ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालो के लिए बंद हो जाएगा।

कैसे लगे आपको ऊप्पर के jagannath puri temple facts in hindi भगवन जगन्नाथ की लीला तो अपरमपार है चलिए अब अन्य रहस्य या Facts जानते है।

4) जगन्नाथ मंदिर में लगे सुदर्शन चक्र और छाया का रहस्य

जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर सुदर्शन चक्र लगा है। जिसके बारे में कहा जाता है की उससे किसी भी दिशा में खड़े होकर देखे पर ऐसा लगता है जैसे चक्र का मुँह आपके तरफ है।

इसी तरह एक रहय और यह है की मंदिर की शिखर की छाया हमेशा अद्र्श्य ही रहती है। उससे जमीं पर कभी कोई नहीं देख पाता।

5) जगन्नाथ मंदिर के खजाने का रहस्य क्या मंदिर के निचे दबा है कोई खज़ाना

ऐसा माना जाता है की मंदिर की जितनी उचाई है यह उतना ही गहरा भी है। मंदिर का खज़ाना जिनमे रुपयों पैसे ही नहीं रत्न और जेवरात भरे हुऐ है।

उड़ीसा हाई कोर्ट के आदेश के बाद रतने भंडार कक्ष में 2018 को कड़ी सुरक्षा के बिच 16 सद्श्य वाली एक टीम 34 साल के बाद यहाँ जांच के लिए आई थी। इस घटना के करीब 2 महीने बाद मंदिर के ख़ज़ाने की चाबी के गायब होने की बात सामने आई थी जो अब तक नहीं मिली है।

खज़ाना देख कर लौटी टीम ने रतने भंडार के रक्षक लोक नाथ की मूर्ति के पास सपथ ली थी की वह रतने भंडार से जुडी कोई भी बात किसी को नहीं बताएंगे। उनका काम सिर्फ ढांचे की मजबूती और कक्षा का मुयाना करना था। इस दौरान उन्हें ख़ज़ाने वाले संदूक के रत्नो को छूने की इज़्ज़ाज़त नहीं थी।

भगवान जगन्नाथ के ख़ज़ाने की विशालता को लेकर इसलिए भी अटकले लगा जा रही है क्युकी इससे पहले 2011 में जगन्नाथ पूरी के पास ही इमार मठ से मजदुर एक चांदी का इट चुरा कर ले गया था। और उसके बाद एक ऐसा रहस्य उजागर हुआ जिससे देख कर प्रशाशन की आँखे भी चौंध्या गयी।

जाँच में जब इस मठ के एक कमरे को खोला गया तो उसमे से 100 करोड़ से अधिक कीमत की छड़ी की ईटे मिली। और इसी वजह से अंदाजा लगाया जा रहा है की मंदिर में ख़ज़ाने का भंडार है।

6) 7 वी सदी में हुआ था मंदिर का निर्माण और 3 बार टूट चूका है जगन्नाथ मंदिर

दरअसल यह पूरा मंदिर ही रहस्य से भरा हुआ है इसके बनने के पीछे भी एक रहस्य जुड़ा हुआ है। कहा जाता है की राजा इंद्रदेव मन मालवा का राजा था। राजा इंद्रदेव मन को सपने में जगन्नाथ के दर्शन हुऐ थे। सपने में ही भगवान विष्णु ने उनसे कहा था की नीलांचल पर्वत की एक गुफा में मेरी एक मूर्ति है जिसे नीलमाधव कहते है तुम एक मंदिर बनवा कर मेरी यह मूर्ति स्थापित करवा दो।

राजा ने अपने सेतुओं को नीलांचल पर्वत की खोज में भेज दिया लेकिन नीलमाधव की पूजा सबर कबीले के लोग करते थे। राजा के सेवक ने वहा से मूर्ति चुरा ली थी और राजा को लाकर दे दी थी। लेकिन मूर्ति की चोरी होने से भगवान नीलमाधव बहुत दुखी थे इसलिए वापस उसी गुफा में चले गए लेकिन राजा से वादा करके गए की वह एक दिन उनके पास जरूर लौटेंगे। बसर्ते वह एक दिन उनके लिए विशाल मंदिर बनवा दे।

राजा ने मंदिर बनवा दिया और भगवान विष्णु से मंदिर में विराजमान होने के लिए कहा। तब भगवान ने कहा तुम मेरी मूर्ति बनाने के लिए समुन्द्र में तैर रहा पेड का बड़ा टुकड़ा उठा कर लाओ जो द्वारका से समुन्द्र में तैरकर पूरी आ रहा है।

राजा के सेतु ने उस टुकड़े को तो ढूंढ लिया लेकिन सबलोग मिलकर भी उस पेड को नहीं उठा पाए। तब राजा को समझ आ गया को नीलमाधव के अन्य भक्त सबर कबीले के मुखिया विश्ववसु की सहायता ही लेनी पड़ेगी। सब उस वक्त हैरान रह गए जब विश्ववसु भरी भरकम लकड़ी को उठा कर मंदिर तक ले आये।

अब बारी थी लकड़ी से भदवान को मूर्ति गढ़नी थी राजा के कारीगरों ने लाखो कोशिश कर ली लेकिन कोई भी एक लकड़ी में छेनी तक नहीं लगा सका। तब तीनो लोक के कुशल कारीगर भगवान विश्वकर्मा का रूप धारण करके आए उन्होंने राजा को कहा की वे नीलमाधव की मूर्ति बना सकते है।

लेकिन साथ ही उन्होंने अपनी शर्त भी रक्खी की वह 21 दिन में मूर्ति बनाएंगे और अकेले में बनाएंगे। उनकी शर्त मान ली गयी लेकिन एक दिन राजा इन्द्रदेवमन की रानी खुद को रोक नहीं पाई और रानी के कहने पर राजा ने कमरे का दरवाजा खोलने का आदेश दिया। जैसे ही कमरा खोला गया तो बूढ़ा व्यक्ति गायब था और उसमे तीन अधूरी मुर्तिया पड़ी मिली।

भगवान नीलमाधव और उनके छोटे छोटे हाथ बने थे लेकिन उनकी टांगे नहीं जबकि सुभद्रा के हाथ पाओ बनाये ही नहीं गए थे। राजा ने इससे भगवान की इक्छा मान कर इन्ही अधूरी मूर्ति को स्थापित कर दिया। तब से लेकर आज तक तीनो भाई बहन इसी रूप में मंदिर में विराजमान है ।

FAQ Jagannath Puri Temple Facts in Hindi

जगन्नाथ स्वामी कौन थे?

जो रहते है उजालो में , जो रहते है अंधकार में , जो रहते है शब्दो में , जो रहते है निशब्द में , जो रहते है भ्रमांड के सभ्यताओं में , जो रहते है पृथ्वी के परिपुणताओ में , वो रहते है बच्चो के किताबो में , वो रहते है साधु के रुद्राक्ष में , अंधे का आंख है वह , लंगड़े का वैसाखी है वो , जन्म मिर्त्यु जीवन यौवन सूर्य चंद्र ग्रहण अखत्र इन संसार के जीवन मिर्त्यु चक्र में सदा सर्वदा वही विध्यमान है जो है जगत के नाथ प्रभु श्री जगन्नाथ।

जगन्नाथ का रहस्य क्या है?

जगन्नाथ मंदिर के काफी रहस्य है जिनका आज तक विज्ञानं में भी जवाब नहीं है। उनमे से कुछ रहस्य है समुद्र के निकट होकर भी मंदिर के अंदर न सुनाई देना समुद्र की आवाज , प्रशाद कभी खत्म न होना। जगन्नाथ मंदिर के छाया का रहस्य।

जगन्नाथ पुरी में एकादशी उल्टी क्यों लटकी है?

प्राचीन समय की बात है की एक भक्त ने प्रशाद पाया और प्रशाद खाकर पत्ता फेक दिया। पत्तल को कुत्ता चाटने लगा इतने में ब्रह्मा जी आ गए और देखा की कही पर भी प्रशाद नहीं है और पत्तल कुत्ता चाट रहा था तो ऐसा देखकर ब्रह्मा जी भी वही प्रशाद खाने बैठ गए और कुत्ता जिस पत्तल में चाट रहा था उसी पत्तल में ब्रह्मा जी भी खाने लगे यह देखकर एकादशी हस पड़ी और बोली ब्रह्मा जी आप कुत्ते के साथ प्रशाद खा रहे है। उतने में वहा भगवन जगन्नाथ जी प्रकट हो गए और बोले एकदशी यह मेरा प्रशाद है जगन्नाथ जी के प्रशाद की ऐसी महिमा है की ब्राह्मण और चांडाल एकसाथ बैठकर प्रशाद पा सकते है उन्हें दोष नहीं लगता है तब जगन्नाथ जी बोले एकादशी तुम अब उल्टा होकर लटको। और इस तरह से जगन्नाथ पुरी में एकादशी उल्टी लटकी हुई है।

जगन्नाथ पुरी कब जाना चाहिए?

यदि आप को जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा का आनंद लेना है तो आपको आषाढ़ के महीने में जगन्नाथ पूरी जाना चाहिए। उसके अलावा आप यहाँ कभी भी आ सकते हो।

भगवान जगन्नाथ बीमार क्यों होते हैं?

उड़ीसा प्रान्त में जगन्नाथ पूरी में जगन्नाथ के एक भक्त माधवदास जी थे। माधवदास जी अकेले रहते है और भगवन का भजन किया करते थे। हर रोज श्री प्रभु नाथ जगन्नाथ का दर्शन किया करते थे और अपनी मस्ती में मस्त रहते थे। वे सांसारिक जीवन से कोई मोह माया नहीं रखते थे वे किसी से लेना देना नहीं रखते थे प्रभु माधवजी के साथ अनेक लीलाए किया करते थे। एक दिन अचानक माधवजी की तबियत खराब हो गयी। उन्हें उलटी दस्त रोग हो गया। वह बहुत ही कमजोर हो गए और उठने बैठने में उन्हें समस्या होने लगी।

माधव जी अपना कार्य स्वयं किया करते थे जो व्यक्ति उनकी मदद करने आता था तो वह उनसे कहते थे की भगवन जगन्नाथ उनकी स्वयं रक्षा करेंगे। देखते ही देखते माधव जी की तबियत इतनी खराब हो गयी की वह अपना मल मूत्र अपने वस्त्र में त्याग दिया करते थे। तब स्वयं जगन्नाथ सेवक के रूप में माधव के पास उनकी सेवा करने के लिए पहुंचे। माधवजी के गंदे वस्त्र जगन्नाथ अपने हाथो से साफ़ किया करते थे और उन्हें भी स्वच्छ किया करते थे।

जितनी सेवा भगवन जगन्नाथ किया करते थे शायद ही कोई व्यक्ति कर पाता। जब माधवदास जी स्वस्थ हुए और उन्हें होश आया तो भगवन जगन्नाथ को इतनी सेवा करते देख वे तुरंत पहचान गए की यह मेरे प्रभु है। एक दिन श्री माधवजी ने प्रभु से पूछा आप त्रिभुवन के मालिक हो स्वामी हो आप चाहते तो मेरा यह रोग भी दूर कर सकते थे रोग दूर कर देते तो यह सब नहीं करना पड़ता। तब जगन्नाथ स्वामी जी ने कहा की देख माधव मुझसे भक्तो का कस्ट नहीं देखा जाता इसी कारन तुम्हारी सेवा मेने स्वयं की। जो कष्ट होता है उससे तो भोगना ही पड़ता है। अगर उसको इस जन्म में नहीं काटा गया तो उसको भोगने के लिए तुम्हे अगला जन्म लेना पड़ेगा और में यह नहीं चाहता की मेरे भक्तो को कष्ट के कारण अगला जन्म लेना पड़े इसलिए मेने तुम्हारी सेवा की लेकिन अगर फिर भी तुम कह रहे हो तो भक्त की बात भी नहीं टाल सकते।

अब तुम्हारे दर्द में यह 15 दिन का रोग और बचा है इसलिए 15 दिन का रोग तुम मुझे दे दो। 15 दिन का वह रोग जगन्नाथ जी ने ले लिया तब से 15 दिन भगवन बीमार रहते है।

जगन्नाथ मंदिर की छाया क्यों नहीं है?

जगन्नाथ मंदिर की छाया अभी भी विज्ञानं के लिए एक बहुत बड़ी पहेली है। वैज्ञानिको के पास अभी तक इसका जवाब नहीं है की क्यों आखिर जगन्नाथ मंदिर का छाया नहीं है। जगन्नाथ मंदिर के अन्य रोचक तथ्य पढ़े।

जगन्नाथ मंदिर कहा है

जगन्नाथ मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के पूरी जिले में यह मंदिर बना हुआ है। जगन्नाथ मंदिर इसलिए इतना खास है क्युकी इसमें काफी रहस्य छुपे हुए है।

निष्कर्ष

तो आशा करते है आपको आज का विषय अच्छा लगा है। यदि jagannath puri temple facts in hindi को लेकर आपके मन में कोई सवाल है तो हमसे कमेंट में पूछे। और हमे कमेंट में बताए कैसा लगा आपको आज का विषय jagannath puri temple facts in hindi यदि आप ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ना चाहते है तो हमारे ब्लॉग में जाकर पढ़ सकते है।

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